परमार्थ में लगा जीवन ही सबसे उत्तम : स्वामी सिकंदर जी महाराज
जालंधर(विनोद मरवाहा) आज के इस भौतिकवादी युग में स्वार्थ इस कदर हममें घर कर गया है कि हम अपने हाथों ही अपने अहित की ओर तेज गति से अग्रसर हो रहे हैं जबकि भारतीय संस्कृति में परोपकार को पुण्य की संज्ञा दी गई है और परपीड़नम अर्थात दूसरों को पीड़ा देने को पाप बतलाया गया […]
परमार्थ में लगा जीवन ही सबसे उत्तम : स्वामी सिकंदर जी महाराज Read More »