अशांत व्यक्ति कभी सुखी नहीं रहता: आचार्य जी
जालंधर(योगेश कत्याल) धन दौलत की अपार संपदा होते हुए भी मन अशांत रहता है तो जीवन का अर्थ समाप्त होता है। धन की कमी भले हो पर मन शांत हो तो वह परम सुखी रहता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग से जोड़ते हुए आचार्य ने कहा कि सुदामा के पास धन नहीं था निर्धनता थी […]
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