गुरु-शिष्य का सम्बन्ध देह का नहीं, आत्मा का होता है: साध्वी भाग्यश्री भारती
जालंधर(विनोद मरवाहा) आदि से आज तक, वैदिक से कलि तक गुरु-शिष्य का शाश्वत संबंध सदा स्थायी रहा है। गुरु-शिष्य की इसी शाश्वत परिभाषा से रूबरू करवाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में मासिक भंडारे के दौरान श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साधवी भाग्यश्री भारती जी ने बताया कि गुरु शिष्य के […]
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