नई दिल्लीः सरकारी बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारियों की हड़ताल का आज देशभर में व्यापक तौर पर असर दिखा और बैंकिंग सर्विसेज पर असर पड़ा. भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा वेतन में 2 फीसदी वृद्धि की पेशकश के विरोध में बैंक कर्मचारी दो दिन की हड़ताल पर हैं. आज हड़ताल का पहला दिन था. हड़ताल के दौरान विभिन्न राज्यों से बैंकिंग कामकाज में दिक्कत की खबरें आई हैं. केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में अन्य राज्यों की तुलना में हड़ताल का असर अधिक दिखा.
पुरानी पीढ़ी वाले निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल का समर्थन किया. यह कल भी जारी रहेगा. हालांकि, कई निजी बैंकों जैसे आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक में कामकाज लगभग सामान्य रहा. यहां चेक क्लीयरेंस समेत कुछ कामकाज में दिक्कत की खबरें आई हैं.
यूएफबीयू से जुड़े अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने बयान में कहा कि कम वेतन वृद्धि के प्रस्ताव के विरोध में 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, 13 पुराने पीढ़ी के निजी बैंकों, छह विदेशी बैंकों और 56 ग्रामीण बैंकों की शाखाओं में काम करने वाले करीब 10 लाख कर्मचारी हड़ताल पर रहे.
जानें कल क्या हो सकती है दिक्कत
हड़ताल के महीने के आखिर में पड़ने से बैंक शाखाओं से वेतन की निकासी प्रभावित होने और शाम तक कुछ एटीएम मशीनों के खाली होने की संभावना है. डिपॉजिट, एफडी रिन्यूअल, सरकारी खजाने से संबंधित ऑपरेशन और करेंसी बाजार से जुड़े कामकाज प्रभावित हुए.
रिजर्व बैंक ने एक अधिकारी ने कहा कि डिजिटल बैंकिंग से जुड़े कुछ कामों को आरटीजीएस जैसी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के माध्यम से किया गया लेकिन बैंकों के सर्वरों से जुड़ा कामकाज प्रभावित हुआ. अधिकारी ने कहा कि कुल ऑपरेशन में डिजिटल बैंकिंग की हिस्सेदारी महज पांच फीसदी के आसपास है.आरबीआई के कर्मचारी संघ के एक नेता ने कहा कि केंद्रीय बैंक में कामकाज प्रभावित नहीं हुआ, हालांकि कर्मचारी यूनियनों ने हड़ताल का नैतिक समर्थन किया था.
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सी. एच. वेंकटाचलम ने कहा, “बैंक और उनके कर्मचारी संघों के बीच कई दौर की वार्ताओं के विफल होने के बाद यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियंस (यूएफबीयू) ने प्रस्तावित दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के विरोध में दो दिन की हड़ताल पर जाने का निर्णय किया, क्योंकि पिछली बार 15 फीसदीव की वेतन वृद्धि दी गई थी.”
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकार की मुद्रा योजना, जनधन योजना और नोटबंदी जैसी सभी योजनाओं की सफलता सुनिश्चित करते हैं और बदले में उसके कर्मचारियों को सिर्फ दो प्रतिशत वेतन वृद्धि की पेशकश की जाती है. यह उन बैंक कर्मियों के साथ अन्याय है जो देश निर्माण में कठिन परिश्रम करते हैं.
देशभर में 21 सार्वजनिक बैंकों की करीब 85,000 शाखाएं हैं, जिसकी बैंकिंग कारोबार में करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है. भारतीय स्टेट बैंक, पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित अधिकांश बैंकों ने अपने ग्राहकों को हड़ताल के बारे में पहले से सूचना दे दी थी.
वहीं, उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल से 20,000 करोड़ रुपये के ग्राहक लेनदेन प्रभावित हो सकते हैं. उसने बैंक कर्मचारी संघों के संयुक्त मोर्चे यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) से हड़ताल वापस लेने की अपील की है.