चंडीगढ़(हलचल नेटवर्क)
किसान आत्महत्याएँ के मामले पर हाईकोर्ट सख़्त है।अदालत ने इस बारे रिपोर्ट माँग ली है। चीफ़ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली के बैंच की तरफ से किसान आत्महत्याएँ के मुद्दो बारे पटीशन की सुनवाई करते इस को बेहद गंभीरता के साथ लिया।
इस बारे पटीशन सरकारी जबर विरोधी मुहिम की तरफ से एडवोकेट आर.एस.बैंस के द्वारा दायर की गई थी। सुनवाई दौरान बैंच के ध्यान में लाया गया कि पंजाबी कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर की तरफ से किसान -खेत मज़दूर आत्महत्याएँ बारे सर्वेक्षण किया गया था।
पंजाब के अंदर पिछले दो सालों दौरान 900 से अधिक किसानों और खेत मज़दूरों ने खुदकुशी की है। सूबा सरकार के अपने अध्ययन अनुसार साल 2000 और 2015 बीच कृषि सैक्टर 16,606 आत्महत्याएँ हुई हैं जिन में 9243 किसान शामिल हैं।
अदालत ने निर्देश दिए कि तीनों यूनिवर्सिटियाँ की तरफ से किये सर्वेक्षणों की रिपोर्ट दो हफ़्तों अंदर इन पटीशनों के साथ पेश की जाये। इस मामलो की सुनवाई सितम्बर के पहले हफ़्ते डाल दी है।