जालंधर/आशु घई
बरसात में महानगर जालंधर में होने वाली दुर्गति सभी ने देखी है। बारिश के कारण शहर के मुख्य मार्गों से लेकर गलियों, मुहल्लों और कालोनियों में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई है। शहर में जल निकासी की व्यवस्था का माकूल इंतजाम न होने और नाला साफ में लाखों रुपये का गोलमाल होने के कारण अब लोगों के घरों में पानी भरने लगा है। जबकि स्मार्ट सिटी के नाम पपर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए मगर जनता की मूलभूत जरुरतों पूरा भी नहीं किया गया, जिसका परिणाम सबके सामने है। करोड़ों रुपये पानी में बहाकर भी लोगों को गंदगी के ढेर मिल रहे हैं। कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए पर कचरा प्रबंधन दिखाई नहीं देता। टूटी-फूटी सड़कों पर हिचकौले खाने को मिल रहे हैं। मूलभूत सुविधाएं तो दूर, बल्कि गंदगी और जलभराव की समस्या का भी अभी तक समाधान तक नहीं हो पाया है। लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि स्मार्ट सिटी घोटाले पर भाजपा और आम आदमी पार्टी चुप क्यों है। अगर भाजपा के स्थानीय नेता चुप्पी साध कर बैठे है तो उसका मतलब है कि कांग्रेस कार्यकाल में उसके पार्षद रहे नेता भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले कथित तौर पर 600 करोड़ रुपये से अधिक के जालंधर स्मार्ट सिटी घोटाले का मुद्दा उठाया था, लेकिन उसके बाद फिर वही ढाक के तीन पात। जबकि कुछ माह पहले केंद्र सरकार के संस्थान कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया) की टीम द्वारा जालंधर स्मार्ट सिटी के खातों काऑडिट 2015-16 से लेकर 2022-23 तक की समय अवधि का किया गया। कैग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों और जालंधर स्मार्ट सिटी को भेजी है, जिसमें जालंधर स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान हुए घोटालों का पर्दाफाश किया गया है।
अगर बात आम आदमी पार्टी कि करें तो राज्य में उसकी सरकार है। कांग्रेस के कार्यकाल में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले की जांच करवाना सरकार का कर्तव्य हैं लेकिन इसके बावजूद सरकार व आम आदमी पार्टी के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी समझ से परे है। अब सवाल यह है कि स्मार्ट सिटी घोटाले पर आखिर भाजपा और आम आदमी पार्टी की चुप्पी कब टूटेगी?
स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर कांग्रेस के कार्यकाल में जमकर हुए घोटाले की निष्पक्ष जांच होना बहुत ही जरूरी है।

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