जालंधर/हलचल नेटवर्क
दिल्ली की 70 सीटों में से एक तिमारपुर सीट बड़ी ही दिलचस्प है। इस विधानसभा सीट पर जो जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है। आइए जानते हैं तिमारपुर सीट का राजनीतिक इतिहास।
तिमारपुर सीट से वर्तमान विधायक आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडे हैं। इस सीट पर भाजपा को एक बार ही जीत का स्वाद चखने का मौका मिला है। इसके बाद यहां कभी पार्टी वापसी नहीं कर सकी। तीन बार कांग्रेस और पिछले तीन बार से आम आदमी पार्टी का तिमारपुर सीट पर कब्जा रहा है।
इस बार कौन-कौन है तिमारपुर के चुनाव मैदान में?
इस बार के चुनाव की बात की जाए तो आप ने चुनाव से पहले भाजपा से पार्टी में शामिल हुए सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू को उम्मीदवार बनाया है। वह पहले कांग्रेस में थे और 2003 और 2008 में कांग्रेस के टिकट पर तिमारपुर से विधायक भी रह चुके हैं। भाजपा ने सूर्य प्रकाश खत्री को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने लोकेंद्र चौधरी को टिकट दिया है।
1993 चुनाव के बाद से बीजेपी ने नहीं हासिल की तिमारपुर सीट पर जीत
अब बात करते हैं पिछले कुछ चुनावों की तो 1993 के चुनाव में बीजेपी के राजेंद्र गुप्ता ने यहां पर बीजेपी को जीत दिलाई थी, उसके बाद से भाजपा इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। 1993 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 49 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। भाजपा की जीत के बाद मदन लाल खुराना दिल्ली के सीएम बने थे।
1998 से 2008 तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार
1998 से 2008 तक दिल्ली में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार रही। वहीं, तिमारपुर सीट से कांग्रेस के जगदीश आनंद ने जीत हासिल की थी। 1998 के चुनावों में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। भाजपा केवल 17 सीटों पर सिमट गई और शीला दीक्षित को सीएम बनाया गया। 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटों पर जीत हासिल की और लगातार दूसरी बार शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं। 2008 में कांग्रेस ने 43 सीटें जीतकर अपनी सत्ता बरकरार रखी। 2003 और 2008 के चुनाव में कांग्रेस के सुरिंदर पाल सिंह बिट्टू ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
2013 के विधानसभा चुनाव में AAP की एंट्री
अब बात करते हैं 2013 के चुनाव की जहां तिमारपुर सीट से आप के हरीश खन्ना ने चुनाव जीता था। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की अगुआई में आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और 28 सीटें जीतीं। भाजपा 31 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल रहा लेकिन पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई। कांग्रेस मात्र आठ सीटों पर सिमट गई थी। इस स्थिति में आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी और अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के सीएम बने थे लेकिन यह सरकार केवल 49 दिन ही चल पाई थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड, शिरोमणि अकाली दल और निर्दलीय को एक-एक सीट मिली थी।
2015 के चुनावों में आप ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 70 में से 67 सीटें जीती थीं। वहीं, तिमारपुर सीट की बात करें तो यहां से आप के पंकज पुष्कर को जीत मिली थी। भाजपा को केवल तीन सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। इसी तरह 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में एक बार फिर आप ने अपना दबदबा कायम रखा। पार्टी ने 62 सीटें जीतकर भाजपा और कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। भाजपा केवल आठ सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। वही, तिमारपुर सीट से आप के दिलीप पांडे ने जीत हासिल की थी।

Scroll to Top